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मूल्यांकन दिखा रहे है की समस्या अभी कायम हैं: क्या कागज़ पर लिखे समाधान बदलाव के लिए पर्याप्त हैं?

क्या एमएफआई और विनियामकों ने उनके द्वारा अतीत में की हुई गलतियों से कुछ सिखा हैं? (भाग २)

24 July 2019

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२०१० के आंध्रप्रदेश संकटने माइक्रोफाइनांस क्षेत्र को हिलाकर रख दिया, जिसके बाद २०११ में आरबीआई के फेअर प्रॅक्टिस कोड के अनुसार संरचना करके, एमएफआईएन और स-धन के द्वारा एनबीएफसी-एमएफआईज के लिए संयुक्त रूप से आचारसंहिता को विकसित किया गया| एनबीएफसी-एमएफआईज का प्रमुख ऋण-प्रदाता, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (एसआईडीबीआई) ने एनबीएफसी-एमएफआईज के आचार संहिता के संचालन (सीओसीए) के लिए बाहरी मुल्यांकन और रेटिंग एजेंसीज को अधिकृत किया 

एमएफआईएन के स्व-नियामक संगठन समिति के अध्यक्ष, प्राध्यापक अलोक मिश्रा को एनबीएफसी-एमएफआईज द्वारे आचारसंहिता के उल्लंघन के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, “[एनबीएफसी-एमएफआईज] सभी नियमों का पालन करते हैं| यह क्षेत्र न केवल अच्छी तरह से नियमित हैं बल्कि ज्यादा ही नियमित है| भारतीय माइक्रोफाइनांस क्षेत्र गजब का जवाबदेही है, और यहाँ दुनिया के सबसे सख्त और निदेशात्मक अधिनियम लागु है|”

दिसंबर २०११ में, रमेश अरुणाचलम, जिन्होंने माइक्रोफाइनांस पर कई किताबें लिखी हैं और इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काम किया हैं, उन्होने सीओसीएज में उदारता से अंक देने पर सवाल उठाया| उन्हें चिंता हैं कि विनियामक संहिता का वास्तविक रूप से कार्यान्वयन हो रहा है या नहीं इसकी जांच करने के बजाय संहिता कागज पर अस्तित्व में हैं या नहीं इसकी जांच करते हैं|

एनबीएफसी द्वारा लाखों का रक्कम न चुकाने का अनुमान लगाने में क्रेडिट रेटिंग एजेंसीज को हाल ही मिली असफलता की ओर इशारा करते हुए, अरुणाचलम जी ने कहा, “केवल विस्तृत सीओसीएज के होने से वास्तविक रूप से कार्यान्वयन की कोई गारंटी नही होती हैं| इस क्षेत्र की आलोचना कभी स्वीकार नहीं की जाती है| कुछ निवेशकों और ऋण-प्रदाताओं सहित कुछ स्टेकहोल्डर चाहते हैं कि एनबीएफसी-एमएफआईज ग्राहकों को बहूत ज्यादा मात्रा में धन वितरित करें| आंकड़े को बढ़ाया जाता हैं, और एमएफआईज के संचालन में अभी भी ब्रोकर एजंट मॉडल बरक़रार हैं|”

आरबीआई जे अनुसार, एनबीएफसी-एमएफआईज को कम से कम एक क्रेडिट रेटिंग ब्यूरो का सदस्य होना चाहिए| क्रेडिट ब्यूरो माइक्रोफाइनांस के उधारकर्ताओं का डेटा संचित करते हैं, जिसका इस्तेमाल करके एनबीएफसी-एमएफआईज उनके ग्राहकों के मौजूदा ऋण के विवरण और उनके उधार-पात्रता का मुल्यांकन करते हैं| क्रेडिट रिस्क के सही आकलन की असमर्थता को लेके आरबीआई ने रेटिंग एजेंसियोंकी कड़ी आलोचना की|

२०१४ में, कंसल्टिंग फर्म माइक्रोसेव ने ५० एमएफआईज के सीओसीए को संगठित किया| उनकी अगली रिपोर्ट में कहा गया कि, आचारसंहिता के बारे में उनके कर्मचारियों को जानकारी देने के साथ-साथ पारदर्शकता और निष्पक्षता में भी एमएफआईज ने अच्छा प्रदर्शन किया| लेकिन कई एमएफआईज ने निर्धारित सीमा से अधिक आय वाले ग्राहकों को सेवा प्रदान की हैं| कुछ प्रतिशत एमएफआईज ने जमानत स्वीकार की और जमानत-मुक्त उधार के नियमों का उल्लंघन किया| केवल ५४ प्रतिशत एमएफआईज में ऐसे बोर्ड थे जिसमें एक तिहाई से अधिक सदस्य स्वतंत्र थे| २०११ की आरबीआई मालेगाम समिति का रिपोर्ट, जिसका गठन २०१० के आंध्रप्रदेश संकट के बाद माइक्रोफाइनांस सेक्टर की छानबीन करने और सिफारिश प्रस्तुत करने के लिए हुआ था, और एमएफआइएन और स-धन द्वारा विकसित संशोधित आचारसंहिता के अनुसार, एनबीएफसी-एमएफआईज के बोर्ड पर स्वतंत्र संचालकों की नियुक्ति आवश्यक है| यहां तक कि, संशोधित आचारसंहिता में कहा गया है कि, एमएफआईज को उनके एक-तिहाई शासक मंडल में स्वतंत्र संचालक नियुक्त करने का प्रयास करना चाहिए|

ग्लोबल ग्राउंड मिडिया ने भी आचारसंहिता के मुल्यांकन का खुलासा किया है जिसमें बलपूर्वक वसूली के तरीके, मर्यादा से ज्यादा ऋण और यहां तक कि जीवनसाथी के मृत्यु के बाद पुनर्भुगतान का संचयन की कई घटनाओं को सूचीबद्ध किया हैं|

रेटिंग और मुल्यांकन एजेंसियों द्वारा २०१६ से २०१८ में स्थापित यह हाल ही के सीओसीए दर्शाते हैं कि २०१० के संकट से पहले मौजूद कई समस्याएं आज भी कायम हैं|

  • आईसीआरए मैनेजमेंट कंसल्टिंग सर्विसेस लिमिटेड के आरोहन के २०१६ के सीओसीए ने यह दर्शाया कि तीन मामलों में जीवनसाथी के मृत्यु के बावजूद ऋण की किस्तों को जमा किया गया था| आईसीआरए के आरोहन के २०१७ के सीओसीए रिपोर्ट में बताया गया है कि इसने उधारकर्ताओं को स्वीकृति पत्र और ऋण अनुबंध की प्रति प्रदान नहीं की|
  • एक्सेस असिस्ट द्वारा संचालित उत्तरायन की २०१६ की सीओसीए में देखा गया कि इसका मंडल ऋण न चुकानेवाले समूह और सदस्यों को समझाने और दबाव की रणनीति अपनाने कि सिफारिश करती हैं| एम२आई कंसल्टिंग के जीडीएफपीएल के २०१६ के सीओसीए ने इन्हें ग्राहक खोजने के लिए अनाधिकृत एजंटों से दूर रहने के लिए कहा|
  • केअर के एसवी क्रेडिटलाइन्स के २०१७ के सीओसीए को ऐसे उदाहरण मिले जिनमें उधारकर्ता की आय निर्धारित सीमा से अधिक थी|
  • आईसीआरए के अन्नपूर्णा माइक्रोफाइनांस के २०१७ के सीओसीए ने कहा कि उन्होने ऐसे उधारकर्ताओं को उधार दिया हैं जिनकी ऋणग्रस्तता अनुमति दिए हुए स्तर से अधिक थी|
  • मार्च २०१७ में, केअर द्वारा आयोजित सीओसीए के अनुसार प्रयास में आचारसंहिता के अनुपालन के लिए कोई नीति नहीं थी|
  • एम२आई कंसल्टिंग के नाइटिंगेल फिनवेस्ट प्रायवेट लिमिटेड के २०१५ के रिपोर्ट में देखा गया कि ग्राहकों में ब्याज दरों के बारे में ज्यादा जागरूकता नहीं हैं|

कई एमएफआईज के सीओसीए ने यह भी कहा कि उनके पास संतोषजनक ग्राहक निवारण तंत्र की कमी हैं|

  • उदाहरण के लिए, आरोहन के २०१७ के सीओसीए ने कहा कि उनके पास उचित तरीके से तैयार किया हुआ शिकायत निवारण तंत्र था, लेकिन उधारकर्ताओं को इस तंत्र के बारे ज्यादा जानकारी नहीं थी|
  • इसी तरह, अन्नपूर्णा का २०१७ के सीओसीए दर्शाता है की, उद्योग संघ के शिकायत निवारण तंत्र के बारे में ग्राहकों में जागरूकता काफी कम थी|
  • एम२आई कंसल्टिंग के चनुरा के २०१५ के सीओसीए ने यह नोट किया कि उनके पास शिकायत निवारण समिति तो थी लेकिन शाखा कर्मचारियों को दी गई, ग्राहकों की प्रतिक्रिया संभाल कर रखने के लिए उनके पास कोई तंत्र नहीं था|
  • जीडीएफपीएल के २०१६ के सीओसीए ने यह बताया किया कि शिकायतों को हल करने के लिए उनके पास क्रमिक प्रक्रिया नहीं हैं|

२०१६ तक कुल १०० सीओसीए मुल्यांकन पूर्ण किए गए थे, जब कि २०१६ से २०१७ के बीच ३७ एमएफआईज के लिए सीओसीए का अभ्यास किया गया था|

उद्योग रिपोर्ट और सरकारी समिति के अलावा, हाल ही के आचारसंहिता मुल्यांकन में २०१० के संकट के कई सालों बाद भी मौजूद मुद्दों का उल्लेख किया गया जिनमें अब तक बदलाव लाना चाहिए था|

If you need help or know someone who does, please reach out now through a suicide hotline near you.

Article by Urvashi Sarkar.
Editing by Mike Tatarski and Anrike Visser.
Research by Peter Allen Clark.
Illustrations by Imad Gebrayel.

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